सहेनाइओं की सदा ऐ सुनों
लस्कर फरिस्तों के
गए सुनो
नूरे मुझे सम है
उतना हुआ
आलम है खुशीआं मनाए
सुनो
(Verce 1)
नूरे खुदा है जमीपे
आगेया
होगई है रोशिनी
मिलगया रास्ता
तख्त खुदा अब जमीपे
है लगा
आशियों को मिलगया
जिंदगी का पता
है इब्ने खुदा
मोलुंग हुआ
सूरत है बना अनदेखा
खुदा
एकमत खुदरत हस्मत से
भरा
अब्दी जीवन का दरिआ
बहा
पूरा हुआ नन्दिआ का
है लिखा
मरियम की गोद में
येशु बादशा
तख्त खुदा अब जमीपे
है लगा
आशियों को मिलगया
जिंदगी का पता
(Verce 2)
निकला तारा रहवर है
चरनी की तरफ
भड़ता हर एक राही है
उसको देख कर (२ टाइम)
आए है मजूसी बनके
गवा
उतरा है मुझे सममोके
खुदा
अब साथ खुदा है अपने
सदा
साही फरमा है जारी
हुआ
खौफ नहीं मौत का भी
अब रहा
लेके आया जिंदगी
अनदेखा शहजादा
तख्त खुदा अब जमीपे
है लगा
आशियों को मिलगया
जिंदगी का पता
लेकर आया चाहत की,
कैसि वह सौगात
करने आया इंसान से,
खुदा है मुलाकात (२ टाइम)
हाँ बद उसकी है सबसे
अलग
रास्ता उसका है सबसे
जुदा
उल्फत उसकी की है
सबसे अलग
ऋतुका है उसके सबसे
जुदा
कुदरत से वो पाक रूह
की है बना
आदमी के रूपमे है
नूरे खुदा
तख्त खुदा अब जमीपे
है लगा
आशियों को मिलगया
जिंदगी का पता
है इब्ने खुदा
मोलुंग हुआ
सूरत है बना अनदेखा
खुदा
एकमत खुदरत हस्मत से
भरा
अब्दी जीवन का दरिआ
बहा
पूरा हुआ नन्दिआ का
है लिखा
मरियम की गोद में
येशु बादशा
नूरे खुदा है जमीपे
आगेया
होगई है रोशिनी
मिलगया रास्ता
No comments:
Post a Comment